समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से भगवान श्री धन्वन्तरि अमृत का कलश लेकर प्रकट हुए। भगवान श्री हरि ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि तुम जन्मान्तर में विशेष सिद्धियों को प्राप्त करोगे। धन्वन्तरि ने श्री हरि के तेरहवें अवातार के रूप में काशीराज दीर्घतपा के पुत्र बनकर जन्म लिया। आयुर्वेद का प्रचार करके इन्होंने लोक को रोग पीडा से मुक्त कराने का मार्ग दिखाया।
धन्वन्तरि जयन्ती धनतेरस को ही मनाया जाता है।
आदिवैद्याय विद्महे सुधाहस्ताय धीमहि तन्नो धन्वन्तरिः प्रचोदयात्....
आदिवैद्याय विद्महे सुधाहस्ताय धीमहि तन्नो धन्वन्तरिः प्रचोदयात्