कार्त्तवीर्याय विद्महे महावीराय धीमहि । तन्नो अर्जुनः प्रचोदयात् ॥
आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से भय और खतरों से सुरक्षा मिलती है। इससे प्रतिद्वंद्वियों के साथ लड़ाई में सफलता प्राप्त होती है।
कोई भी अनुभव बिना कारण का नहीं होता। श्रीराम जी मानते थे कि कौसल्या माता ने पूर्व जन्म में किसी माता के अपने पुत्र से वियोग करवाया होगा। इसलिए उनको इस जन्म में पुत्र वियोग सहना पडा।