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मंत्र बहुत ही प्रभावशाली हैं। 😊 -kartik aich

वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों का हिस्सा बनकर खुश हूं 😇😇😇 -प्रगति जैन

व्यापार में सफलता और लाभ तथा प्रेम, भय से सुरक्षा के लिए प्रार्थना करती हूं 🙏🙏 -शांतिदेवी

सत्य सनातन की जय हो💐💐💐 -L R Sharma

आपकी वेबसाइट बहुत ही अनोखी और ज्ञानवर्धक है। 🌈 -श्वेता वर्मा

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हंसहंसाय विद्महे परमहंसाय धीमहि । तन्नो हंसः प्रचोदयात् ॥

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रेवती नक्षत्र का मंत्र क्या है?

पूषा रेवत्यन्वेति पन्थाम्। पुष्टिपती पशुपा वाजवस्त्यौ। इमानि हव्या प्रयता जुषाणा। सुगैर्नो यानैरुपयातां यज्ञम्। क्षुद्रान्पशून्रक्षतु रेवती नः। गावो नो अश्वां अन्वेतु पूषा। अन्नं रक्षन्तौ बहुधा विरूपम्। वाजं सनुतां यजमानाय यज्ञम्। (तै.ब्रा.३.१.२)

धर्म की जटिलताएँ

धर्म के सिद्धांत सीधे सर्वोच्च भगवान द्वारा स्थापित किए जाते हैं। ये सिद्धांत ऋषियों, सिद्धों, असुरों, मनुष्यों, विद्याधरों या चारणों द्वारा पूरी तरह से समझ में नहीं आते हैं। दिव्य ज्ञान मानवीय समझ से परे है और यहां तक ​​कि देवताओं की भी समझ से परे है।

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शिव जी को ब्रह्महत्या दोष किस कारण से लगा था?

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