पर्जन्य अस्त्र का उपयोग प्राचीन समय में युद्धों के दौरान किया जाता था। यह एक प्रकार का बाण था, जिसके उपयोग से भारी वर्षा होती थी। पर्जन्य अस्त्र की मदद से शत्रु के अग्नि बाणों को शांत किया जा सकता था। ये वे अस्त्र हैं, जो मन्त्रों के माध्यम से सक्रिय किए जाते हैं। प्रत्येक अस्त्र का संबंध किसी विशेष देवता से होता है और इन्हें मन्त्रों और तंत्रों के माध्यम से संचालित किया जाता है। इन्हें दिव्य और मान्त्रिक अस्त्र कहा जाता है।
आपस्तंब धर्मसूत्र २.५.११.७ के अनुसार जब नारी कहीं चलती है तो राजा सहित सबको रास्ता देना पडेगा।
अनन्तेशाय विद्महे महाभोगाय धीमहि तन्नोऽनन्तः प्रचोदयात्....
अनन्तेशाय विद्महे महाभोगाय धीमहि तन्नोऽनन्तः प्रचोदयात्
भूषणैः किं प्रयोजनम्?
हाथ का भूषण दान करना होता है । कंठ का भूषण सत्य बोलना होता �....
Click here to know more..सर्वतः सारमादद्यात्
जिस प्रकार भ्रमर हर तरह के फूलों से मधु का ग्रहण कर लेता ह�....
Click here to know more..मंगल अष्टोत्तर शतनामावलि
ॐ मितभाषणाय नमः । ॐ सुखप्रदाय नमः । ॐ सुरूपाक्षाय नमः । ॐ....
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