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आपकी वेबसाइट बहुत ही मूल्यवान जानकारी देती है। -यशवंत पटेल

वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल होने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं - समीर

वेदधारा सनातन संस्कृति और सभ्यता की पहचान है जिससे अपनी संस्कृति समझने में मदद मिल रही है सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 -राकेश नारायण

आपके मंत्रों को सुनकर मुझे अपने अंदर से जुड़ा हुआ महसूस होता है। 💖 -ReshmiPal

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धर्मरूपाय विद्महे सत्यव्रताय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदयात्

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देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करें

देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (हेमाद्रिमें वायु तथा ब्रह्मवैवर्तका वचन) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करना चाहिये।

क्षीरसागर की उत्पत्ति कैसे हुई?

रसातल में रहनेवाली सुरभि के दूध की धारा से क्षीरसागर उत्पन्न हुआ। क्षीरसागर के तट पर रहने वाले फेनप नामक मुनि जन इसके फेन को पीते रहते हैं।

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श्री हरि के कान के मल से उत्पन्न दो असुरों के नाम ?

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