सत्ययुग में भगवती त्रिपुरसुंदरी को उनकी प्रमुखता के कारण 'आद्या' कहा जाता है। इसी प्रकार, त्रेतायुग में भगवती भुवनेश्वरी 'आद्या' कहलाती हैं, द्वापरयुग में भगवती तारा 'आद्या' के रूप में जानी जाती हैं, और कलियुग में भगवती काली को 'आद्या' कहा जाता है।
हरिद्वार में माताजी के तीन मंदिर प्रसिद्ध हैं - चंडी देवी मंदिर, माया देवी मंदिर, मनसा देवी मंदिर।
तत्पुरुषाय विद्महे सहस्राक्षाय धीमहि तन्नः शक्रः प्रचोदयात्....
तत्पुरुषाय विद्महे सहस्राक्षाय धीमहि तन्नः शक्रः प्रचोदयात्
शिव पुराण
दण्डकारण्य में शिव को श्रीराम के प्रति मस्तक झुकाते देख �....
Click here to know more..गौ सेवा से प्राप्त होता है दिव्य ज्ञान
गौ सेवा से प्राप्त होता है दिव्य ज्ञान....
Click here to know more..गंगा लहरी स्तोत्र
समृद्धं सौभाग्यं सकलवसुधायाः किमपि तन् महैश्वर्यं लीला....
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