आपस्तंब धर्मसूत्र २.५.११.७ के अनुसार जब नारी कहीं चलती है तो राजा सहित सबको रास्ता देना पडेगा।
ब्रह्मवैवर्तपुराण.प्रकृति.२.६६.७ के अनुसार, विश्व की उत्पत्ति के समय देवी जिस स्वरूप में विराजमान रहती है उसे आद्याशक्ति कहते हैं। आद्याशक्ति ही अपनी इच्छा से त्रिगुणात्मिका बन जाती है।
गोपालाकाय विद्महे गोपीप्रियाय धीमहि तन्नो गोपालकृष्णः प्रचोदयात्....
गोपालाकाय विद्महे गोपीप्रियाय धीमहि तन्नो गोपालकृष्णः प्रचोदयात्
अथर्ववेद मंत्र: सुरक्षा, शक्ति और विजय के लिए
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नमस्ते जामदग्न्याय क्रोधदग्धमहासुर । क्षत्रान्तकाय चण....
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