एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्
हम एकदंत, वक्रतुण्ड गणेश की साधना करते हैं, वे हमें प्रेरित और मार्गदर्शित करें।
इस मंत्र को सुनने से मन को एकाग्र करने और भगवान गणेश की कृपा पाने में सहायता मिलती है। मंत्र की ध्वनियाँ मन को शांत करती हैं और आंतरिक शांति का अनुभव कराती हैं। यह आपको गणेश के ज्ञान, बुद्धिमत्ता और मार्गदर्शन से जोड़ता है। इस मंत्र को नियमित रूप से सुनने या जपने से बाधाएँ दूर होती हैं और विचारों में स्पष्टता आती है। यह वातावरण को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है और भक्ति और आध्यात्मिक विकास की प्रेरणा देता है।
१. चोदक - जो योग में उतरने के लिए प्रेरणा देते हैं २. बोधक - जो योगाभ्यास सिखाते हैं ३. मोक्षद - जो अपने शिष्य को मोक्ष तक पहुंचाते हैं।
व्रत करने से देवी देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। मन और इन्द्रियों को संयम में रखने की क्षमता आती है।
दत्तात्रेय एकाक्षरी मंत्र
द्राम्....
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