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बहुत अच्छा प्रभाव 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -राहुल ठाकुर

बहुत बहुत धन्यवाद -User_se0353

अद्वितीय website -श्रेया प्रजापति

आपकी वेबसाइट से बहुत सी महत्वपूर्ण जानकारी मिलती है। -दिशा जोशी

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आखुध्वजाय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो विघ्नः प्रचोदयात्

हम उस (भगवान गणेश) को जानते हैं जिनके ध्वज पर मूषक है, हम उनकी साधना करते हैं जिनकी सूंड वक्र है। वे विघ्नहर्ता हमें प्रेरित करें।

भगवान गणेश को समर्पित इस मंत्र को सुनने से कई लाभ प्राप्त होते हैं। यह जीवन की बाधाओं को दूर करने में मदद करता है, जिससे जीवन में प्रगति सहज होती है। यह मंत्र ध्यान, स्पष्टता और ज्ञान को बढ़ावा देता है, जो निर्णय लेने और सफलता में सहायक होता है। यह शांति का अनुभव कराता है, तनाव और चिंता को कम करता है, और भगवान गणेश के आशीर्वाद से समृद्धि, सौभाग्य, और समग्र कल्याण की प्राप्ति होती है। नियमित रूप से सुनने से आध्यात्मिक विकास होता है और नकारात्मक प्रभावों से सुरक्षा मिलती है।

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रावण ने नौ सिरों की बलि दी

वैश्रवण (कुबेर) ने घोर तपस्या करके लोकपाल और पुष्पक विमान में से एक का पद प्राप्त किया। अपने पिता विश्रवा की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने लंका में निवास किया। कुबेर की महिमा को देखकर विश्रवा की दूसरी पत्नी कैकसी ने अपने पुत्र रावण को भी ऐसी ही महानता हासिल करने के लिए प्रोत्साहित किया। अपनी माँ से प्रेरित होकर रावण अपने भाइयों कुम्भकर्ण और विभीषण के साथ घोर तपस्या करने के लिए गोकर्ण गया। रावण ने यह घोर तपस्या 10,000 वर्ष तक की। प्रत्येक हजार वर्ष के अंत में, वह अपना एक सिर अग्नि में बलि के रूप में चढ़ाता था। उसने ऐसा नौ हजार वर्षों तक किया, और अपने नौ सिरों का बलिदान दिया। दसवें हजार वर्ष में, जब वह अपना अंतिम सिर चढ़ाने वाला था, रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर ब्रह्मा प्रकट हुए। ब्रह्मा ने उसे देवताओं, राक्षसों और अन्य दिव्य प्राणियों के लिए अजेय बनाने का वरदान दिया, और उसके नौ बलिदान किए गए सिरों को बहाल कर दिया, इस प्रकार उसे दस सिर दिए गए।

क्या व्रत करना जरूरी है?

व्रत करने से देवी देवता प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है। मन और इन्द्रियों को संयम में रखने की क्षमता आती है।

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सती देवी के पिता का नाम ?

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