सन्त्वा सिञ्चामि यजुषा प्रजामायुर्धनञ्च।
रोचनो रोचमानः शोभनः शोभमानः कल्याणः॥
मंगल चण्डिका मां दुर्गा का एक स्वरूप है। सबसे पहले महादेव ने मंगल चण्डिका की पूजा की थी, त्रिपुर के युद्ध के समय। देवी त्रिपुर दहन में भगवान की शक्ति बन गई। यह देवी हमेशा १६ वर्ष की होती है और उनका रंग सफेद चंपा के फूल जैसा है। जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह की पीडा हो वे विशेष रूप से मंगल चण्डिकाकी पूजा कर सकते हैं।
पराशर महर्षि वेद व्यास जी के पिता हैं । उनकी माता का नाम है सत्यवती ।