अंजनी पुत्र भूखे थे और आकाश में सूर्य को देखा। उनको लगा कि वह कोई फल होगा और सूर्य की ओर कूदा। यह देखकर इन्द्र को लगा कि सूर्य पर कोई आक्रमण कर रहा है। इन्द्र ने बजरंगबली के हनु (जबडे) पर वज्र से प्रहार किया। उस घाव का चिह्न जबडे पर होने के कारण वे हनुमान कहलाने लगे।
चार्वाक दर्शन के अनुसार जीवन का सबसे बडा लक्ष्य सुख और आनंद को पाना होना चाहिए।
निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलिन्यो न ओषधयः पच्यन्ताम् योगक्षेमो नः कल्पताम्....
निकामे निकामे नः पर्जन्यो वर्षतु फलिन्यो न ओषधयः पच्यन्ताम् योगक्षेमो नः कल्पताम्
कष्टों को दूर करने के लिए हनुमान मंत्र
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Click here to know more..दुर्गा सप्तशती - कवच
ॐ गणानां त्वा गणपतिं हवामहे कविं कवीनामुपमश्रवस्तमम् । ....
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अथ तृतीयोऽध्यायः । कर्मयोगः । अर्जुन उवाच - ज्यायसी चेत्....
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