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इस मंत्र को सुनने से मन को असीम शांति का अनुभव होता है -करण सिंह

आपका प्रयास सराहनीय है,आप सनातन संस्कृति को उन्नति के शिखर पर ले जा रहे हो हमारे जैसे अज्ञानी भी आप के माध्यम से इन दिव्य श्लोकों का अनुसरण कर अपने जीवन को सार्थक बनाने में लगे हैं🙏🙏🙏 -User_soza7d

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -मदन शर्मा

वेदधारा से जब से में जुड़ा हूं मुझे अपने जीवन में बहुत कुछ सीखने को मिला वेदधारा के विचारों के माध्यम से हिंदू समाज के सभी लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए। -नवेंदु चंद्र पनेरु

आभारी हूँ -gyan prakash

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दाशरथाय विद्महे सीतावल्लभाय धीमहि ।
तन्नो रामः प्रचोदयात् ॥

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कुरुक्षेत्र की महानता

ब्रह्मा ने यहाँ एक यज्ञ किया था। उस समय राजा कुरु ने सोने के हल से भूमि तैयार की, जिसे महादेव के बैल और यम के भैंसे द्वारा खींचा गया था। जब यज्ञ चल रहा था, राजा ने स्थल के चारों दिशाओं में प्रतिदिन 7 कोस (लगभग 21 किमी) की दर से क्षेत्र का विस्तार किया। यज्ञ की समाप्ति पर, भगवान विष्णु ने इस नव-सृजित भूमि को आशीर्वाद देते हुए इसे धर्मक्षेत्र नाम दिया। यहाँ किया गया कोई भी धार्मिक कार्य अनंत पुण्य (आध्यात्मिक लाभ) प्रदान करता है।

रामायण में विभीषण ने रावण का पक्ष छोड़कर राम का साथ क्यों दिया?

रावण के दुष्कर्म , विशेष रूप से सीता के अपहरण के प्रति विभीषण के विरोध और धर्म के प्रति उनकी प्रतिबद्धता ने उन्हें रावण से अलग होकर राम के साथ मित्रता करने के लिए प्रेरित किया। उनका दलबदल नैतिक साहस का कार्य है, जो दिखाता है कि कभी-कभी व्यक्तिगत लागत की परवाह किए बिना गलत काम के खिलाफ खड़ा होना जरूरी है। यह आपको अपने जीवन में नैतिक दुविधाओं का सामना करने पर कठोर निर्णय लेने में मदद करेगा।

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शिव - पार्वती विवाह के समय सारे देवता , यक्ष , गन्धर्व इत्यादि हिमालय में आ गये थे । उस समय भूमि का भार संतुलन करने किसको दक्षिण भारत की ओर भेजा गया था ?

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