इस शक्तिशाली महाकाली मंत्र को सुनें ताकि जीवन में बाधाओं को दूर किया जा सके, नकारात्मक शक्तियों को नष्ट किया जा सके, और शक्ति, शांति, और सफलता के लिए दिव्य सुरक्षा को आमंत्रित किया जा सके।
ॐ नमो भगवति क्षां क्षां रररर हुं लं वं वटुकेशि एह्येहि संहर संहर महाकालि अतिमानसनिवासिनि परे शत्रून् नाशय नाशय शोषय शोषय नरभूतप्रेतपिशाचादिसर्वग्रहान् नाशय नाशय दह दह पच पच सर्वस्त्रीपुरुषवशङ्करि सर्वलोकवशङ्करि तद्वशं भ्रंशय मद्वशमानय स्वाहा ।
मैं देवी महाकाली को नमन करता/करती हूँ। कृपया आओ और सभी शत्रुओं, दृश्य और अदृश्य, का नाश करो। सभी नकारात्मक शक्तियों, भूत-प्रेत, आत्माओं और राक्षसों को समाप्त कर दो और सुखाओ। सभी हानिकारक प्रभावों को जला दो और घुला दो। सभी लोगों और संसार को मेरे अनुकूल बनाओ।
इस मंत्र को सुनने से देवी महाकाली की सुरक्षा और शक्ति का आह्वान होता है। यह व्यक्ति के जीवन से नकारात्मक ऊर्जाओं, बाधाओं और शत्रुओं को दूर करने में मदद करता है। यह हानिकारक आत्माओं, बुरी शक्तियों और अवांछित प्रभावों से सुरक्षा प्रदान करता है। यह शक्ति, साहस, और कठिन परिस्थितियों और लोगों पर नियंत्रण लाता है, जिससे शांति और सफलता मिलती है। इसके अलावा, यह आंतरिक शक्ति को बढ़ावा देता है और जीवन को सकारात्मक और सामंजस्यपूर्ण बनाता है।
सारे धार्निक शुभ कार्यों में पत्नी पति के दक्षिण भाग में रहें, इन्हें छोडकर- १. अभिषेक या अपने ऊपर कलश का तीर्थ छिडकते समय। २. ब्राह्मणॊं के पैर धोते समय। ३. ब्राह्मणों से आशीर्वाद स्वीकार करते समय। ४. सिन्दूर देते समय। ५ शांति कर्मों में। ६. मूर्ति प्रतिष्ठापन में। ७. व्रत के उद्यापन में। ८. विवाह होकर माता-पिता के घर से निकलते समय। ९. विवाह होकर पहली बार माता-पिता के घर वापस आते समय। १०. भोजन करते समय। ११. सोते समय।
भाद्रपद मास में कदम्ब और चम्पा से शिवकी पूजा करनेसे सभी इच्छाएँ पूरी होती हैं। भाद्रपदमास से भिन्न मासों में निषेध है।