सत्ययुग में भगवती त्रिपुरसुंदरी को उनकी प्रमुखता के कारण 'आद्या' कहा जाता है। इसी प्रकार, त्रेतायुग में भगवती भुवनेश्वरी 'आद्या' कहलाती हैं, द्वापरयुग में भगवती तारा 'आद्या' के रूप में जानी जाती हैं, और कलियुग में भगवती काली को 'आद्या' कहा जाता है।
मार्कंडेय का जन्म ऋषि मृकंडु और उनकी पत्नी मरुद्मति के कई वर्षों की तपस्या के बाद हुआ था। लेकिन, उनका जीवन केवल 16 वर्षों के लिए निर्धारित था। उनके 16वें जन्मदिन पर, मृत्यु के देवता यम उनकी आत्मा लेने आए। मार्कंडेय, जो भगवान शिव के परम भक्त थे, शिवलिंग से लिपटकर श्रद्धा से प्रार्थना करने लगे। उनकी भक्ति से प्रभावित होकर भगवान शिव प्रकट हुए और उन्हें अमर जीवन का वरदान दिया, और यम को पराजित किया। यह कहानी भक्ति की शक्ति और भगवान शिव की कृपा को दर्शाती है।
ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय पराय परमपुरुषाय परमात्मने परकर्ममन्त्रयन्त्रौषधास्त्रशस्त्राणि संहर संहर मृत्योर्मोचय मोचय ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय दीप्त्रे ज्वालापरीताय सर्वदिक्षोभणकराय हुँ फट् ब्रह्मणे परं�....
ॐ क्लीं कृष्णाय गोविन्दाय गोपीजनवल्लभाय पराय परमपुरुषाय परमात्मने परकर्ममन्त्रयन्त्रौषधास्त्रशस्त्राणि संहर संहर मृत्योर्मोचय मोचय ॐ नमो भगवते महासुदर्शनाय दीप्त्रे ज्वालापरीताय सर्वदिक्षोभणकराय हुँ फट् ब्रह्मणे परंज्योतिषे स्वाहा ।
शक्ति और समृद्धि के लिए हनुमान जी का मंत्र
आञ्जनेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमत्प्रचो�....
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धर्मरूपाय विद्महे सत्यव्रताय धीमहि तन्नो रामः प्रचोदया....
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सदाभीतिहस्तं मुदाजानुपाणिं लसन्मेखलं रत्नशोभाप्रकाशम....
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