ॐ नमो गणपते महावीर दशभुज मदनकालविनाशन मृत्युं हन हन कालं संहर संहर धम धम मथ मथ त्रैलोक्यं मोहय मोहय ब्रह्मविष्णुरुद्रान् मोहय मोहय अचिन्त्यबलपराक्रम सर्वव्याधीन् विनाशय विनाशय सर्वग्रहान् चूर्णय चूर्णय नागान्मोटय मोटय त्रिभुवनेश्वर सर्वतोमुख हुं फट् स्वाहा ।
सबसे पहले देवता के मूल मंत्र से तीन बार फूल चढायें। ढोल, नगारे, शङ्ख, घण्टा आदि वाद्यों के साथ आरती करनी चाहिए। बत्तियों की संख्या विषम (जैसे १, ३, ५, ७) होनी चाहिए। आरती में दीप जलाने के लिए घी का ही प्रयोग करें। कपूर से भी आरती की जाती है। दीपमाला को सब से पहले देवता की चरणों में चार बार घुमाये, दो बार नाभिदेश में, एक बार चेहरे के पास और सात बार समस्त अङ्गोंपर घुमायें। दीपमाला से आरती करने के बाद, क्रमशः जलयुक्त शङ्ख, धुले हुए वस्त्र, आम और पीपल आदि के पत्तों से भी आरती करें। इसके बाद साष्टाङ्ग दण्डवत् प्रणाम करें।
सुरभि की चार पुत्रियां हैं- सुरूपा, हंसिका, सुभद्रा, सर्वकामदुघा। ये क्षीरसागर की पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर से रक्षा करती हैं।
गौ माता की उत्पत्ति कैसे हुई?
जानिए- गौ माता की उत्पत्ति कैसे हुई? गौ पूजा मंत्र, गौ पूज�....
Click here to know more..मंदिरों में और पूजा के समय घंटी क्यों बजायी जाती है?
मंदिरों में और पूजा के समय घंटी क्यों बजायी जाती है ?....
Click here to know more..सुब्रह्मण्य अष्टक स्तोत्र
हे स्वामिनाथ करुणाकर दीनबन्धो श्रीपार्वतीशमुखपङ्कजपद�....
Click here to know more..