नैना देवी मंदिर, ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी, बज्रेश्वरी देवी मंदिर, चामुण्डा मंदिर, मनसा देवी मंदिर, जयंती देवी मंदिर।
सबसे पहले एक ही पुराण था- ब्रह्माण्डपुराण, जिसमें चार लाख श्लोक थे। उसी का १८ भागों में विभजन हुआ। ब्रह्माण्डं च चतुर्लक्षं पुराणत्वेन पठ्यते। तदेव व्यस्य गदितमत्राष्टदशधा पृधक्॥- कहता है बृहन्नारदीय पुराण
देव, दैत्य और दानवों की उत्पत्ति
महाभारत के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र हैं मरीचि, अत्�....
Click here to know more..भीष्माचार्य को सुरक्षित रखना कौरवों के लिए ज़रूरी है
लक्ष्मी क्षमापण स्तोत्र
क्षमस्व भगवत्यम्ब क्षमाशीले परात्परे । शुद्धसत्त्वस्व�....
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