भक्ति-योग में लक्ष्य भगवान श्रीकृष्ण के साथ मिलन है, उनमें विलय है। कोई अन्य देवता नहीं, यहां तक कि भगवान के अन्य अवतार भी नहीं क्योंकि केवल कृष्ण ही सभी प्रकार से पूर्ण हैं।
शास्त्रों ने शिव जी पर कुछ फूलों के चढ़ाने से मिलनेवाले फल का तारतम्य बतलाया है, जैसे दस सुवर्ण-मापके बराबर सुवर्ण-दानका फल एक आक के फूल को चढ़ाने से मिल जाता है। हजार आकके फूलों की अपेक्षा एक कनेर का फूल, हजार कनेर के फूलों के चढ़ाने की अपेक्षा एक बिल्वपत्र से फल मिल जाता है और हजार बिल्वपत्रों की अपेक्षा एक गूमाफूल (द्रोण-पुष्प) होता है। इस तरह हजार गूमा से बढ़कर एक चिचिडा, हजार चिचिडों- (अपामार्गों ) से बढ़कर एक कुश फूल, हजार कुश- पुष्पों से बढ़कर एक शमी का पत्ता, हजार शमी के पत्तों से बढ़कर एक नीलकमल, हजार नीलकमलों से बढ़कर एक धतूरा, हजार धतूरों से बढ़कर एक शमी का फूल होता है। अन्त में बतलाया है कि समस्त फूलोंकी जातियोंमें सब से बढ़कर नीलकमल होता है ।
अच्युताय नमः । अनन्ताय नमः । गोविन्दाय नमः ।....
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शूलिनी दुर्गा की मानस पूजा
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