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वेदधारा चैनल पर जितना ज्ञान का भण्डार है उतना गुगल पर सर्च करने पर सटीक जानकारी प्राप्त नहीं हो सकती है। बहुत ही सराहनीय कदम है -प्रमोद कुमार

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आपकी वेबसाइट बहुत ही अनमोल और जानकारीपूर्ण है।💐💐 -आरव मिश्रा

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आपका हिंदू शास्त्रों पर ज्ञान प्रेरणादायक है, बहुत धन्यवाद 🙏 -यश दीक्षित

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पराशक्ति या आद्याशक्ति कौन है?

जैसा कि अथर्वशीर्ष उपनिषद में वर्णित है, पराशक्ति या आद्याशक्ति, खुद को सृष्टि के मूल कारण बताती है, खुद को सर्वोच्च ब्रह्म के रूप में बताती है। वह प्रकृति और पुरुष (आत्मा) दोनों है, और भौतिक और चेतन जगत का उत्पत्ति स्थान है। इस विचार को शाक्त उपनिषदों और अथर्वगुह्य उपनिषद में आगे बढ़ाया गया है, जहां ब्रह्म को स्त्री रूप में प्रस्तुत करते हैं।

वेदों की दिव्य उत्पत्ति और अधिकारिता

धर्म वेदों द्वारा स्थापित है, और अधर्म उसका विपरीत है। वेदों को श्री हरि का प्रत्यक्ष प्रकट रूप माना जाता है, और भगवान ने ही सबसे पहले उन्हें उद्घोषित किया। इसलिए, वेदों को समझने वाले विद्वान कहते हैं कि वेद श्री हरि के सार का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह वेदों की दिव्य उत्पत्ति और अधिकारिता में विश्वास को रेखांकित करता है, जो मानवता को धार्मिकता की ओर मार्गदर्शन करने में उनकी भूमिका को उजागर करता है।

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भगव‌द्गीत‌ा में कितने अध्याय हैं ?

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