जब हृदय में ईश्वर का प्रेम बसता है, तो अहंकार, घृणा और इच्छाएं भाग जाते हैं, और केवल शांति और पवित्रता शेष रह जाती है।
आग्नेय अस्त्र एक शक्तिशाली विस्फोटक बाण है। यह अग्नि के समान जल बरसाकर सब कुछ नष्ट कर देता है। इसका प्रतिकार करने वाला अस्त्र पर्जन्य है। ऐसे अस्त्र मन्त्रों के माध्यम से संचालित होते हैं। प्रत्येक अस्त्र का एक विशेष देवता या देवी से संबंध होता है, और इन्हें मन्त्र-तन्त्र के माध्यम से सक्रिय किया जाता है। इन्हें दिव्य अस्त्र भी कहा जाता है।
ॐ ह्रीं ह्रीम्। कूष्माण्डि रागिणि रक्ष। भगवति चामुण्डे मुञ्च। दह सर। बालकाद् गच्छ ठठ। कामुण्डे नमो हिज्ये भुः। ह्रीं ह्रीं दुष्टग्रहान्। ह्रूं तत्र गच्छन्तु गुह्यकाः। यत्र स्वं स्थानं कुरु। रुद्रो ज्ञापयति ठठ। शक्षमपाडेहन�....
ॐ ह्रीं ह्रीम्। कूष्माण्डि रागिणि रक्ष। भगवति चामुण्डे मुञ्च। दह सर। बालकाद् गच्छ ठठ। कामुण्डे नमो हिज्ये भुः। ह्रीं ह्रीं दुष्टग्रहान्। ह्रूं तत्र गच्छन्तु गुह्यकाः। यत्र स्वं स्थानं कुरु। रुद्रो ज्ञापयति ठठ। शक्षमपाडेहनि। उज्रिहगताट। षड्ग्रहैश्च सहितं रक्ष मुञ्च कुमारकं ह्रीं ठठ।