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वेदधारा का प्रभाव परिवर्तनकारी रहा है। मेरे जीवन में सकारात्मकता के लिए दिल से धन्यवाद। 🙏🏻 -Anjana Vardhan

आपकी वेबसाइट जानकारी से भरी हुई और अद्वितीय है। 👍👍 -आर्यन शर्मा

प्रणाम गुरूजी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -प्रभास

फ़ायदा हो रहा है ....धन्यवाद....🙏🙏🙏🙏🙏 -सुनील

मंत्र बहुत उपयोगी है व्यावहारिक रूप से। 🙏 -आदर्श गुप्ता

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यक्षों के माता-पिता

पिता - कश्यप। माता - विश्वा (दक्ष की पुत्री)।

केवल मनुष्य को ही परलोक प्राप्ति

इस शरीर के माध्यम से जीव अपने पुण्य और पाप कर्मों के फलस्वरूप सुख-दुख का अनुभव करता है। इसी शरीर से पापी यमराज के मार्ग पर कष्ट सहते हुए उनके पास पहुँचते हैं, जबकि धर्मात्मा प्रसन्नतापूर्वक धर्मराज के पास जाते हैं। विशेष रूप से, केवल मनुष्य ही मृत्यु के बाद एक सूक्ष्म आतिवाहिक शरीर धारण करता है, जिसे यमदूत यमराज के पास ले जाते हैं। अन्य जीव-जंतु, जैसे पशु-पक्षी, ऐसा शरीर नहीं पाते। वे सीधे दूसरी योनि में जन्म लेते हैं। ये प्राणी मृत्यु के बाद वायु रूप में विचरण करते हुए किसी विशेष योनि में जन्म लेने के लिए गर्भ में प्रवेश करते हैं। केवल मनुष्य को अपने शुभ और अशुभ कर्मों का फल इस लोक और परलोक दोनों में भोगना पड़ता है।

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किस मणि द्वारा मृत अर्जुन को उनकी पत्नी उलूपी ने पुनरुज्जीवित किया था ?

गेहादिशोभनकरं स्थलदेवताख्यं सञ्जातमीश्वरतनुरसामृतदेहरूपम् । संपत्तिसौख्यधनधान्यकरं निधानं तं दिव्यवास्तुपुरुषं प्रणतोऽस्मि नित्यम् ।। ....

गेहादिशोभनकरं स्थलदेवताख्यं
सञ्जातमीश्वरतनुरसामृतदेहरूपम् ।
संपत्तिसौख्यधनधान्यकरं निधानं
तं दिव्यवास्तुपुरुषं प्रणतोऽस्मि नित्यम् ।।

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