अदिति और दिति कश्यप प्रजापति की पत्नियां थी। कश्यप से अदिति में बलवान इंन्द्र उत्पन्न हुए। इसे देखकर दिति जलने लगी। अपने लिे भी शक्तिमान पुत्र मांगी। कश्यप से गर्भ धारण करने पर अदिति ने इंन्द्र द्वारा दिति के गर्भ को ४९ टुकडे कर दिया जो मरुद्गण बने। दिति ने अदिति को श्राप दिया कि संतान के दुःख से कारागार में रहोगी। अदिति पुनर्जन्म में देवकी बनी और कंस ने देवकी को कारागार में बंद किया।
घर में 2 शिवलिंग, 3 गणेश मूर्तियाँ, 2 सूर्य मूर्तियाँ, 3 दुर्गा मूर्तियाँ, 2 शंख, 2 शालग्राम और 2 गोमती चक्रों की पूजा नहीं करनी चाहिए। इससे अशांति हो सकती है।
समं ज्योतिः सूर्येणाह्ना रात्री समावती । कृणोमि सत्यमूतयेऽरसाः सन्तु कृत्वरीः ॥१॥ यो देवाः कृत्यां कृत्वा हरादविदुषो गृहम् । वत्सो धारुरिव मातरं तं प्रत्यगुप पद्यताम् ॥२॥ अमा कृत्वा पाप्मानं यस्तेनान्यं जिघांसत....
समं ज्योतिः सूर्येणाह्ना रात्री समावती ।
कृणोमि सत्यमूतयेऽरसाः सन्तु कृत्वरीः ॥१॥
यो देवाः कृत्यां कृत्वा हरादविदुषो गृहम् ।
वत्सो धारुरिव मातरं तं प्रत्यगुप पद्यताम् ॥२॥
अमा कृत्वा पाप्मानं यस्तेनान्यं जिघांसति ।
अश्मानस्तस्यां दग्धायां बहुलाः फट्करिक्रति ॥३॥
सहस्रधामन् विशिखान् विग्रीवां छायया त्वम् ।
प्रति स्म चक्रुषे कृत्यां प्रियां प्रियावते हर ॥४॥
अनयाहमोषध्या सर्वाः कृत्या अदूदुषम् ।
यां क्षेत्रे चक्रुर्यां गोषु यां वा ते पुरुषेषु ॥५॥
यश्चकार न शशाक कर्तुं शश्रे पादमङ्गुरिम् ।
चकार भद्रमस्मभ्यमात्मने तपनं तु सः ॥६॥
अपामार्गोऽप मार्ष्टु क्षेत्रियं शपथश्च यः ।
अपाह यातुधानीरप सर्वा अराय्यः ॥७॥
अपमृज्य यातुधानान् अप सर्वा अराय्यः ।
अपामार्ग त्वया वयं सर्वं तदप मृज्महे ॥८॥
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