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प्रणाम गुरूजी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -प्रभास

यह मंत्र सुख और शांति लाता है 🌸 -siddhi sachdeva

वेदधारा की धर्मार्थ गतिविधियों में शामिल होने पर सम्मानित महसूस कर रहा हूं - समीर

वेदधारा के कार्य से हमारी संस्कृति सुरक्षित है -मृणाल सेठ

कृपया अतुल को उसकी पढ़ाई के लिए, कुमार को करियर के लिए, और नेहा और लक्ष्मी को अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र के लिए आशीर्वाद दें। धन्यवाद 🙏🌸 -Anil Singh

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गौओं को बार-बार नमस्कार

नमो गोभ्यः श्रीमतीभ्यः सौरभेयीभ्य एव च । नमो ब्रह्मसुताभ्यश्च पवित्राभ्यो नमो नमः || - श्रीमती गौओंको नमस्कार ! कामधेनुकी संतानों को नमस्कार । ब्रह्माजी की पुत्रियों को नमस्कार ! पावन करनेवाली गौओं को बार-बार नमस्कार ।

गायत्री मंत्र के देवता कौन है?

गायत्री मंत्र के देवता सविता यानि सूर्य हैं। परंतु मंत्र को स्त्रीरूप मानकर गायत्री, सावित्री, और सरस्वती को भी इस मंत्र के अभिमान देवता मानते हैं।

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पाण्डु की माता कौन थी ?

स्तुवानमग्न आ वह यातुधानं किमीदिनम् । त्वं हि देव वन्दितो हन्ता दस्योर्बभूविथ ॥१॥ आज्यस्य परमेष्ठिन् जातवेदस्तनूवशिन् । अग्ने तौलस्य प्राशान यातुधानान् वि लापय ॥२॥ वि लपन्तु यातुधाना अत्त्रिणो ये किमीदिनः । अथ....

स्तुवानमग्न आ वह यातुधानं किमीदिनम् ।
त्वं हि देव वन्दितो हन्ता दस्योर्बभूविथ ॥१॥
आज्यस्य परमेष्ठिन् जातवेदस्तनूवशिन् ।
अग्ने तौलस्य प्राशान यातुधानान् वि लापय ॥२॥
वि लपन्तु यातुधाना अत्त्रिणो ये किमीदिनः ।
अथेदमग्ने नो हविरिन्द्रश्च प्रति हर्यतम् ॥३॥
अग्निः पूर्व आ रभतां प्रेन्द्रो नुदतु बाहुमान् ।
ब्रवीतु सर्वो यातुमान् अयमस्मीत्येत्य ॥४॥
पश्याम ते वीर्यं जातवेदः प्र णो ब्रूहि यातुधानान् नृचक्षः ।
त्वया सर्वे परितप्ताः पुरस्तात्त आ यन्तु प्रब्रुवाणा उपेदम् ॥५॥
आ रभस्व जातवेदोऽस्माकार्थाय जज्ञिषे ।
दूतो नो अग्ने भूत्वा यातुधानान् वि लापय ॥६॥
त्वमग्ने यातुधानान् उपबद्धामिहा वह ।
अथैषामिन्द्रो वज्रेणापि शीर्षाणि वृश्चतु ॥७॥
इदं हविर्यातुधानान् नदी फेनमिवा वहत्।
य इदं स्त्री पुमान् अकरिह स स्तुवतां जनः ॥१॥
अयं स्तुवान आगमदिमं स्म प्रति हर्यत ।
बृहस्पते वशे लब्ध्वाग्नीषोमा वि विध्यतम् ॥२॥
यातुधानस्य सोमप जहि प्रजां नयस्व च ।
नि स्तुवानस्य पातय परमक्ष्युतावरम् ॥३॥
यत्रैषामग्ने जनिमानि वेत्थ गुहा सतामत्त्रिणां जातवेदः ।
तांस्त्वं ब्रह्मणा वावृधानो जह्येषां शततर्हमग्ने ॥४॥

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