श्रीमद्भागवत पुराण में राजा ककुद्मि और उनकी बेटी रेवती की एक कहानी है। वे ब्रह्मलोक गए थे ताकि रेवती के लिए उपयुक्त पति ढूंढ सकें। लेकिन जब वे पृथ्वी पर लौटे, तो पाया कि समय अलग तरीके से बीता है। कई युग बीत चुके थे और सभी जिन्हें वे जानते थे, वे मर चुके थे। रेवती ने फिर भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम से विवाह किया। यह कहानी हमारे शास्त्रों में समय विस्तार की अवधारणा को दर्शाती है।
भक्ति बुद्धि का नहीं बल्कि हृदय का विषय है; यह परमात्मा के लिए आत्मा की लालसा है।
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