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🧘‍♂️ आपके मंत्रों को सुनना मेरे लिए एक रिवाज बन गया है। -रोहन त्रिपाठी

वेदधारा के कार्य से हमारी संस्कृति सुरक्षित है -मृणाल सेठ

वेदधारा को हिंदू धर्म के भविष्य के प्रयासों में देखकर बहुत खुशी हुई -सुभाष यशपाल

इस मंत्र से सकारात्मकता मिलती है -bhupendra

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -User_sdh76o

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अंधकूप

अंधकूप एक नरक नाम है जहां साधु लोगों और भक्तों को नुकसान पहुंचाने वाले भेजे जाते हैं। यह नरक क्रूर जानवरों, सांपों और कीड़ों से भरा हुआ है और वे पापियों को तब तक यातनाएँ देते रहेंगे, जब तक कि उनकी अवधि समाप्त न हो जाए।

व्यास जी को वेद व्यास क्यों कहते हैं?

क्यों कि उन्होंने ही वेद को चार भागों में विभाजित किया।

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शिव ताण्डव स्तोत्र के रचयिता कौन हैं ?

ब्रह्मलोके च ये सर्पा ये च शेषपुरस्सराः नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा विष्णुलोके च ये सर्पा वासुकिप्रमुखाश्च ये नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा इन्द्रलोके च ये सर्पास्तक्षकप्र�....

ब्रह्मलोके च ये सर्पा ये च शेषपुरस्सराः
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
विष्णुलोके च ये सर्पा वासुकिप्रमुखाश्च ये
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
इन्द्रलोके च ये सर्पास्तक्षकप्रमुखाश्च ये
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
खाण्डवस्य तथा दाहे स्वर्गं ये च समाश्रिताः
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
सर्पसत्रे च ये नागा आस्तिकेन च रक्षिताः
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
यमलोके च ये सर्पाः कार्कोटकमुखाश्च ये
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
धर्मलोके च ये सर्पा वैतरण्यां सदा स्थिताः
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
समुद्रमथने सर्पा मन्दराद्रिं समाश्रिताः
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
ये सर्पाः पार्वतीयेषु दरीसिन्धुषु संस्थिताः
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
ग्रामे वा यदि वाऽरण्ये ये सर्पाः प्रचरन्ति हि
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा
रसातले च ये सर्पा अनन्ताद्या महाबलाः
नमोऽस्तु तेभ्यस्सुप्रीताः पन्नगास्सन्तु मे सदा

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