मंत्र:
ॐ वां श्रीं ह्रीं स्फ्यें ह्यौं स्वाहा।
यह शक्तिशाली मंत्र माँ सरस्वती को समर्पित है, जो ज्ञान, विद्या और शिक्षा की देवी हैं। 'ॐ' संपूर्ण सृष्टि और सभी ज्ञान का प्रारंभिक स्वर है। 'वां' सरस्वती के वाणी और उच्चारण से संबंध को दर्शाता है। 'श्रीं' एक ध्वनि है जो अकादमिक प्रयासों में सफलता के लिए आशीर्वाद लाती है। 'ह्रीं' सरस्वती की शक्ति को अज्ञानता को ज्ञान में बदलने का प्रतीक है। 'स्फ्यें' मन को स्पष्ट सोच और प्रभावी अध्ययन के लिए केंद्रित करता है। 'ह्यौं' बुद्धि को विचलन से बचाता है, और 'स्वाहा' का अर्थ है अपने प्रयासों को देवी के प्रति समर्पित करना ताकि सफलता प्राप्त हो।
इस सरस्वती मंत्र को सुनने से छात्रों और ज्ञान के साधकों को अपने मन को ज्ञान की दिव्य ऊर्जा के साथ संरेखित करने में सहायता मिलती है। यह अकादमिक सफलता और बौद्धिक स्पष्टता प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे अध्ययन और ज्ञान के साथ गहरा संबंध स्थापित होता है।
सुनने के लाभ:
अध्ययन में ध्यान और एकाग्रता बढ़ाता है।
अकादमिक सफलता के लिए सरस्वती के आशीर्वाद का आह्वान करता है।
सीखने में आने वाली बाधाओं को दूर करता है।
विचारों और वाणी की स्पष्टता को बढ़ावा देता है।
गौ माता सुरभि को गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शरीर के बाएं हिस्से से उत्पन्न किया। सुरभि के रोम रोम से बछड़ों के साथ करोड़ों में गायें उत्पन्न हुई।
देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (हेमाद्रिमें वायु तथा ब्रह्मवैवर्तका वचन) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करना चाहिये।
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