आरती करने के तीन उद्देश्य हैं। १. नीरांजन - देवता के अङ्ग-प्रत्यङ्ग चमक उठें ताकि भक्त उनके स्वरूप को अच्छी तरह समझकर अपने हृदय में बैठा सकें। २. कष्ट निवारण - पूजा के समय देवता का भव्य स्वरूप को देखकर उनके ऊपर भक्तों की ही नज़र पड सकती है। छोटे बच्चों की माताएँ जैसे नज़र उतारती हैं, ठीक वैसे ही आरती द्वारा देवता के लिए नज़र उतारी जाती है। ३, त्रुटि निवारण - पूजा में अगर कोई त्रुटि रह गई हो तो आरती से उसका निवारण हो जाता है।
जो लोग नियमित रूप से रामचरितमानस का पाठ करते हैं, वे श्रीराम जी की कृपा के पात्र हो जाते हैं। उन्हें जीवन में खुशहाली, समृद्धि और शान्ति की प्राप्ति होती हैं। रामचरितमानस पढ़ने से अपार आध्यात्मिक और मानसिक लाभ होता है। यह स्वास्थ्य, धन और खतरों से सुरक्षा देता है और एकाग्रता शक्ति को बढ़ाता है।
बीच में अटके: त्रिशंकु की कथा और आधुनिक जीवन की दौड़
Why Abhimanyu Died In Mahabharata
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सर्वे वेदाः साङ्गकलापाः परमेण प्राहुस्तात्पर्येण यदद्�....
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