ॐ आरिक्षीणियम् वनस्पतियायाम् नमः । बहुतेन्द्रीयम् ब्रहत् ब्रहत् आनन्दीतम् नमः । पारवितम नमामी नमः । सूर्य चन्द्र नमायामि नमः । फुलजामिणी वनस्पतियायाम् नमः । आत्मानियामानि सद् सदु नमः । ब्रम्ह विषणु शिवम् नमः । पवित्र पावन जलम नमः । पवन आदि रघुनन्दम नमः । इति सिद्धम् ।
भीष्माचार्य अष्ट-वसुओं में से एक के अवतार थे।
शक्ति और साहस के लिए हनुमान जी का मंत्र
ॐ श्रीवीरहनुमते स्फ्रें हूं फट् स्वाहा....
Click here to know more..तुलसीदासजी सज्जन और खल जनों की एक साथ वन्दना करके एक तथ्य को सामने लाते हैं
नव दुर्गा स्तुति
वृषारूढा सैषा हिमगिरिसुता शक्तिसरिता त्रिशूलं हस्तेऽस�....
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