पांच - विष्णुप्रयाग, नन्दप्रयाग, कर्णप्रयाग, रुद्रप्रयाग, देवप्रयाग । प्रयागराज इन पांचों का मिलन स्थान माना जाता है ।
सुरभि की चार पुत्रियां हैं- सुरूपा, हंसिका, सुभद्रा, सर्वकामदुघा। ये क्षीरसागर की पूर्व, दक्षिण, पश्चिम और उत्तर से रक्षा करती हैं।
अपने गुरुजी के आशीर्वाद के लिए मंत्र
गुरुदेवाय विद्महे वेदवेद्याय धीमहि तन्नो गुरुः प्रचोदय....
Click here to know more..व्यासजी जनमेजय से देवी याग करने को कहते हैं
भगवद गीता - अध्याय 5
अथ पञ्चमोऽध्यायः । सन्यासयोगः । अर्जुन उवाच - संन्यासं क....
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