सारे धार्निक शुभ कार्यों में पत्नी पति के दक्षिण भाग में रहें, इन्हें छोडकर- १. अभिषेक या अपने ऊपर कलश का तीर्थ छिडकते समय। २. ब्राह्मणॊं के पैर धोते समय। ३. ब्राह्मणों से आशीर्वाद स्वीकार करते समय। ४. सिन्दूर देते समय। ५ शांति कर्मों में। ६. मूर्ति प्रतिष्ठापन में। ७. व्रत के उद्यापन में। ८. विवाह होकर माता-पिता के घर से निकलते समय। ९. विवाह होकर पहली बार माता-पिता के घर वापस आते समय। १०. भोजन करते समय। ११. सोते समय।
वह धृतराष्ट्र के एक वैश्य महिला से उत्पन्न पुत्र था। वह कौरवों की सूची में शामिल नहीं है। कुरूक्षेत्र युद्ध के दौरान युयुत्सु पांडव पक्ष में शामिल हो गया। उन्होंने परीक्षित के शासन की देखरेख की और उन्हें सलाह दी।
आज्ञा करने की शक्ति के लिए मंत्र
तत्पुरुषाय विद्महे सहस्राक्षाय धीमहि तन्नः शक्रः प्रचो....
Click here to know more..शक्ति और साहस के लिए हनुमान जी का मंत्र
ॐ श्रीवीरहनुमते स्फ्रें हूं फट् स्वाहा....
Click here to know more..मधुराष्टक
अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरम्। हृदयं मधु....
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