चार्वाक दर्शन में सुख शरीरात्मा का एक स्वतंत्र गुण है। दुख के अभाव को चार्वाक दर्शन सुख नहीं मानता है।
दान, प्रायश्चित, संतोष, आत्म-संयम, विनम्रता, सत्य और दया - ये सात गुण वैकुंठ में प्रवेश के द्वार हैं।
पुण्यतीर्थों के बीच उनके राजा हैं संत
रामचरितमानस का मंगलाचरण गणेश्जी की वन्दना से शुरू होता है
श्री रामचरितमानस का मंगलाचरण गणेश्जी की वन्दना से शुरू �....
Click here to know more..प्रज्ञा संवर्द्धन सरस्वती स्तोत्र
या प्रज्ञा मोहरात्रिप्रबलरिपुचयध्वंसिनी मुक्तिदात्री....
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