सूर्य देव के श्राप से निर्धन होकर शनि देव अपनी मां छाया देवी के साथ रहते थे। सूर्य देव उनसे मिलने आये। वह मकर संक्रांति का दिन था। शनि देव के पास तिल और गुड के सिवा और कुछ नहीं था। उन्होंने तिल और गुड समर्पित करके सूर्य देव को प्रसन्न किया। इसलिए हम भी प्रसाद के रूप में उस दिन तिल और गुड खाते हैं।
दिये में अग्निदेव का सान्निध्य है। घर के मुख्य द्वार पर दिया जलाने से अग्निदेव नकारात्मक शक्तियों को घर में प्रवेश करने से रोकते हैं।
देवी भागवत
जो सृष्टिकाल में सर्गशक्ति, स्थितिकाल में पालनशक्ति तथा ....
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ॐ ह्रीं गं ह्रीं वशमानय स्वाहा....
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अरिन्दमः पङ्कजनाभ उत्तमो जयप्रदः श्रीनिरतो महामनाः। ना....
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