असूया, अभिमान, शोक, काम, क्रोध, लोभ, मोह, असंतोष, निर्दयता, ईर्ष्या, निंदा और स्पृहा - ये बारह दोष हमेशा त्यागने योग्य हैं। जैसे शिकारी मृगों का शिकार करने के अवसर की तलाश में रहता है, इसी तरह, ये दोष भी मनुष्यों की कमजोरियाँ देखकर उन पर आक्रमण कर देते हैं।
हनुमान जी बालाजी के नाम से भी प्रसिद्ध हैं। इसके अलावा तिरुपति वेंकटेश्वर स्वामी भी बालाजी नाम से जाने जाते हैं।
मंत्र जप में गिनती - १०८ का महत्व
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Click here to know more..तुलसीदासजी कहते हैं - अगर याचना करनी है तो गिरिजापति से - विनय पत्रिका से जाँचिये गिरिजापति कासी भजन
भगवत गीता - अध्याय 16
अथ षोडशोऽध्यायः । दैवासुरसम्पद्विभागयोगः । श्रीभगवानु....
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