एक बुद्धिमान मित्र, एक ज्ञानवान पुत्र, एक पवित्र पत्नी, एक दयालु स्वामी, सोच-समझ कर बोलने वाला, और सोच-समझ कर कार्य करने वाला। इन सभी के गुण जीवन को बिना हानि पहुँचाए समृद्ध करते हैं। एक बुद्धिमान मित्र अच्छा मार्गदर्शन देता है, और एक ज्ञानवान पुत्र गर्व और सम्मान लाता है। एक पवित्र पत्नी वफादारी और विश्वास का प्रतीक होती है। एक दयालु स्वामी करुणा से भलाई सुनिश्चित करता है। सोच-समझ कर बोलना और सावधानी से कार्य करना सामंजस्य और विश्वास बनाता है, जीवन को संघर्ष से सुरक्षित रखता है।
महर्षि पतंजलि के योग शास्त्र में आठ अंग हैं- १.यम २. नियम ३. आसन ४. प्राणायाम ५. प्रत्याहार ६. धारण ७. ध्यान ८. समाधि।
नागों के नाम
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