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Hamen isase bahut jankari milti hai aur mujhe mantron ki bhi jankari milti hai -User_spaavj

वेदधारा का कार्य सराहनीय है, धन्यवाद 🙏 -दिव्यांशी शर्मा

आपकी वेबसाइट जानकारी से भरी हुई और अद्वितीय है। 👍👍 -आर्यन शर्मा

हार्दिक आभार। -प्रमोद कुमार शर्मा

आप जो अच्छा काम कर रहे हैं उसे जानकर बहुत खुशी हुई -राजेश कुमार अग्रवाल

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श्रीराम जी का अचल स्वरूप

श्रीराम जी न तो कहीं जाते हैं, न कहीं ठहरते हैं, न किसी के लिए शोक करते हैं, न किसी वस्तु की आकांक्षा करते हैं, न किसी का परित्याग करते हैं, न कोई कर्म करते हैं। वे तो अचल आनन्दमूर्ति और परिणामहीन हैं, अर्थात उनमें कोई परिवर्तन नहीं होता। केवल माया के गुणों के संबंध से उनमें ये बातें होती हुई प्रतीत होती हैं। श्रीराम जी परमात्मा, पुराणपुरुषोत्तम, नित्य उदय वाले, परम सुख से सम्पन्न और निरीह अर्थात् चेष्टा से रहित हैं। फिर भी माया के गुणों से सम्बद्ध होने के कारण उन्हें बुद्धिहीन लोग सुखी अथवा दुखी समझ लेते हैं।

गौ माता की उत्पत्ति कैसे हुई?

गौ माता सुरभि को गोलोक में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने शरीर के बाएं हिस्से से उत्पन्न किया। सुरभि के रोम रोम से बछड़ों के साथ करोड़ों में गायें उत्पन्न हुई।

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राजस्थान में इनको प्रकृति प्रेमी लोकदेवता भी कहते हैं । कौन है यह ?

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