जिसने इहलोक में जितना अन्नदान किया उसके लिए परलोक में उसका सौ गुणा अन्न प्रतीक्षा करता रहता है। जो दूसरों को न खिलाकर स्वयं ही खाता है वह जानवर के समान होता है।
जिस स्थान पर अभिमन्यु की मृत्यु चक्रव्यूह के अंदर हुई, उसे वर्तमान में अभिमन्युपुर के नाम से जाना जाता है। यह कुरूक्षेत्र शहर से 8 किमी की दूरी पर है। इसे पहले अमीन, अभिमन्यु खेड़ा और चक्रम्यु के नाम से जाना जाता था।