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वेद पाठशालाओं और गौशालाओं का समर्थन करके आप जो प्रभाव डाल रहे हैं उसे देखकर खुशी हुई -समरजीत शिंदे

वेदधारा के माध्यम से हिंदू धर्म के भविष्य को संरक्षित करने के लिए आपका समर्पण वास्तव में सराहनीय है -अभिषेक सोलंकी

आपकी वेबसाइट बहुत ही अद्भुत और जानकारीपूर्ण है। -आदित्य सिंह

आपके वेदधारा ग्रुप से मुझे अपार ज्ञान प्राप्त होता है, मुझे गर्व कि मैं सनातनी हूं और सनातन धर्म में ईश्वर ने मुझे भेजा है । आपके द्वारा ग्रुप में पोस्ट किए गए मंत्र और वीडियों को में प्रतिदिन देखता हूं । -Dr Manoj Kumar Saini

अति सुन्दर -User_slbo5b

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आध्यात्मिकता में प्रयास का महत्व

गंगा पृथ्वी पर नहीं उतरती जब तक कोई महान तपस्वी, जैसे भगीरथ, गहन तप और अटूट संकल्प के साथ, उन्हें पूर्ण श्रद्धा से आमंत्रित नहीं करता। इसी प्रकार, वर्षा भी तभी होती है जब वज्रधारी इंद्र आकाश में रुके हुए जल को मुक्त करते हैं। यह दर्शाता है कि बिना सच्चे प्रयास और तत्परता के आत्मा को प्राप्त नहीं किया जा सकता। आत्मा केवल उन्हीं को स्वीकार करती है जो इसे सच्ची लगन और समर्पण से खोजते हैं।

देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता

देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (वायु तथा ब्रह्मवैवर्त पुराण) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरोंको तृप्त करना चाहिये।

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वाली और सुग्रीव एक जैसे दिखते थे ? दोनों के बीच लडाई चल रही थी तो सुग्रीव को श्रीरामजी ने कैसे पहचाना ?

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