इसे आसिपत्रान कहते हैं। इस वन में पेड़ - पौधों के पत्तों के रूप में तलवारें हैं। इन तलवारों से पापी को सताया जाता है।
ॐ ह्रां ह्रीं ह्रं ॐ स्वाहा ॐ गरुड सं हुँ फट् । किसी रविवार या मंगलवार के दिन इस मंत्र को दस बर जपें और दस आहुतियां दें। इस प्रकार मंत्र को सिद्ध करके जरूरत पडने पर मंत्र पढते हुए फूंक मारकर भभूत छिडकें ।
अनंत मंत्र के साथ स्थिर प्रगति और स्थायित्व प्राप्त करें
ॐ ह्रीं अं अनन्ताय आधारशक्तिकमलासनाय नमः ॐ ह्रीं अं अनन्....
Click here to know more..दान इत्यादियों में काल और पात्र का महत्त्व
ललिता स्तुति
विकसितसन्मुखि चन्द्रकलामयि वैदिककल्पलते । भगवति मामव म....
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