व्यास महर्षि ने महाभारत लिखा। उनके शिष्य वैशम्पायन ने जनमेजय के सर्प यज्ञ स्थल पर महाभारत सुनाया। उग्रश्रवा सौति वहां उपस्थित थे और उन्होंने वैशम्पायन की कथा के आधार पर नैमिषारण्य आकर वहां ऋषियों को सुनाया। आज हमारे पास जो महाभारत है वह यही है।
सभी धर्मों का सम्मान करें और उनके महत्व को समझें, परंतु अपने मार्ग पर स्थिर रहें, अपने विश्वास और आचरण के प्रति सच्चे बने रहें।
बिना मन शुद्धि के मंत्र का फल क्या है
समृद्धि के लिए वास्तु पुरुष मंत्र
ॐ सुरश्रेष्ठाय नमः। ॐ महाबलसमन्विताय नमः। ॐ गुडान्नादा....
Click here to know more..तञ्जपुरीश शिव स्तुति
अस्तु ते नतिरियं शशिमौले निस्तुलं हृदि विभातु मदीये। स्....
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