कामधेनु के श्राप की वजह से दिलीप को संतान नहीं हुई। महर्षि वसिष्ठ के उपदेश के अनुसार दिलीप ने कामधेनु की बेटी नन्दिनी की दिन रात सेवा की। एक बार एक शेर ने नन्दिनी को जगड लिया तो दिलीप ने अपने आप को नन्दिनी की जगह पर अर्पित किया। सेवा से खुश होकर नन्दिनी ने दिलीप को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।
गणेश जी की पूजा करते समय बोलने के लिए सरल और प्रभावशाली मंत्र है - ॐ गँ गणपतये नमः ।
सत्राजित के मणि की चोरी
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ॐ ह्रीं ह्रीम्। कूष्माण्डि रागिणि रक्ष। भगवति चामुण्डे �....
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सर्ववेदागमज्ञानपारगां परमेश्वरीम्| दुष्टकष्टप्रदां व�....
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