ॐ रोहणी रुद्राक्षी मनकरिन्द्री नमः । रुद्राक्षीयायां गंड संसारं पारवितं फूल माला जडयायामी जयमीस्यामी जमीस्यामी प्रलानी प्रलानी नमः । रुद्राक्षी बुटी सफलं करीयामी मूर मूरगामी यशस्वी स्वः । ज्या बूटी मोरी वाणी बुंटी दामिनी दामिमि स्वः । रमणी रमणी नमः नमः । इस मंत्र से रुद्राक्ष अभिमंत्रित करने से वह सिद्ध हो जाता है ।
तीन नेत्रों वाले शंकर जी, जिनकी महिमा का सुगन्ध चारों ओर फैला हुआ है, जो सबके पोषक हैं, उनकी हम पूजा करते हैं। वे हमें परेशानियों और मृत्यु से इस प्रकार सहज रूप से मोचित करें जैसे खरबूजा पक जाने पर बेल से अपने आप टूट जाता है। किंतु वे हमें मोक्ष रूपी सद्गाति से न छुडावें।