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आपकी वेबसाइट बहुत ही अनोखी और ज्ञानवर्धक है। 🌈 -श्वेता वर्मा

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वेदधारा सनातन संस्कृति और सभ्यता की पहचान है जिससे अपनी संस्कृति समझने में मदद मिल रही है सनातन धर्म आगे बढ़ रहा है आपका बहुत बहुत धन्यवाद 🙏 -राकेश नारायण

प्रणाम गुरूजी 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 -प्रभास

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दुर्दम का अभिशाप और मुक्ति

दुर्दम विश्वावसु नामक गंधर्व का पुत्र था। एक बार वे अपनी हजारों पत्नियों के साथ कैलास के निकट एक झील में विहार कर रहे थे। वहाँ तप कर रहे ऋषि वसिष्ठ ने क्रोधित होकर उन्हें श्राप दे दिया। परिणामस्वरूप, वह राक्षस बन गया। उनकी पत्नियों ने वशिष्ठ से दया की याचना की। वसिष्ठ ने कहा कि भगवान विष्णु की कृपा से 17 वर्ष बाद दुर्दामा पुनः गंधर्व बन जाएगा। बाद में, जब दुर्दामा गालव मुनि को निगलने की कोशिश कर रहा था, तो भगवान विष्णु ने उसका सिर काट दिया और वह अपने मूल रूप में वापस आ गया। कहानी का सार यह है कि कार्यों के परिणाम होते हैं, लेकिन करुणा और दैवीय कृपा से मुक्ति संभव है।

गोवत्स द्वादशी की कहानी क्या है?

एक बार माता पार्वती गौ माता के और भोलेनाथ एक बूढे के रूप में भृगु महर्षि के आश्रम पहुंचे। गाय और बछडे को आश्रम में छोडकर महादेव निकल पडे। थोडी देर बाद भोलेनाथ खुद एक वाघ के रूप में आकर उन्हें डराने लगे। डर से गौ और बछडा कूद कूद कर दौडे तो उनके खुरों का निशान शिला के ऊपर पड गया जो आज भी ढुंढागिरि में दिखाई देता है। आश्रम में ब्रह्मा जी का दिया हुआ एक घंटा था जिसे बजाने पर भगवान परिवार के साथ प्रकट हो गए। इस दिन को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाते हैं।

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श्राद्ध के लिये उचित समय क्या है ?

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