चार्वाक दर्शन के अनुसार जीवन का सबसे बडा लक्ष्य सुख और आनंद को पाना होना चाहिए।
इला। इला पैदा हुई थी लडकी। वसिष्ठ महर्षि ने इला का लिंग बदलकर पुरुष कर दिया और इला बन गई सुद्युम्न। सुद्युम्न बाद में एक शाप वश फिर से स्त्री बन गया। उस समय बुध के साथ विवाह संपन्न हुआ था।
भगवद्गीता स्मृत्युपनिषद क्यों है?
भगवद्गीता न स्मृति है, न केवल उपनिषद है, बल्कि दोनों का सम�....
Click here to know more..दुर्गा सप्तशती - क्षमापण स्तोत्र
दासोऽयमिति मां मत्वा क्षमस्व परमेश्वरि । आवाहनं न जानाम....
Click here to know more..विश्वनाथ दशक स्तोत्र
यस्मात्परं न किल चापरमस्ति किञ्चिज्- ज्यायान्न कोऽपि हि ....
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