कामधेनु के श्राप की वजह से दिलीप को संतान नहीं हुई। महर्षि वसिष्ठ के उपदेश के अनुसार दिलीप ने कामधेनु की बेटी नन्दिनी की दिन रात सेवा की। एक बार एक शेर ने नन्दिनी को जगड लिया तो दिलीप ने अपने आप को नन्दिनी की जगह पर अर्पित किया। सेवा से खुश होकर नन्दिनी ने दिलीप को पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद दिया।
आरती कीजै हनुमान लला की, गोस्वामी तुलसीदास जी की रचना है।
कर्ज से मुक्ति के लिए ऋणहर्तृगणपति मंत्र
ॐ ऋणहर्त्रे नमः ॐ ऋणमोचनाय नमः ॐ ऋणभञ्जनाय नमः ॐ ऋणदावान�....
Click here to know more..गौतमी की कथा कुछ महान अध्यात्मिक तत्व एक कथा द्वारा जानिये- भाग 2
नारायण अष्टाक्षर माहात्म्य स्तोत्र
ॐ नमो नारायणाय । अथ अष्टाक्षरमाहात्म्यम् - श्रीशुक उवाच....
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