१. मध्य - प्रयाग २. पूर्व - गया ३. दक्षिण - विरजा (जाजपुर, ओड़िशा), ४. पश्चिम - पुष्कर ५. उत्तर - कुरुक्षेत्र
हनुमान जी भक्ति, निष्ठा, साहस, शक्ति, विनम्रता और निस्वार्थता के प्रतीक हैं। यह आपको इन गुणों को अपने जीवन में अपनाने, व्यक्तिगत विकास और आध्यात्मिक विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रेरित और मार्गदर्शन करेगा।
भगवान कांटे से ही कांटे को निकालते हैं
इस प्रवचन से जानिए- १. भगवान कैसे अपने भक्तों के दोषों को ह�....
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स्कन्दापस्मारसंज्ञो यः स्कन्दस्य दयितः सखा विशाखसंज्ञ....
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कारुण्यं शरणार्थिषु प्रजनयन् काव्यादिपुष्पार्चितो वे�....
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