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जटायु और सम्पाति

गरुड के भाई हैं सूर्य का सारथी अरुण। अरुण के पुत्र हैं जटायु और सम्पाति जिनके बारे में रामायण में उल्लेख है। उनकी मां थी श्येनी।

देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करें

देवकार्यादपि सदा पितृकार्यं विशिष्यते । देवताभ्यो हि पूर्वं पितॄणामाप्यायनं वरम्॥ (हेमाद्रिमें वायु तथा ब्रह्मवैवर्तका वचन) - देवकार्य की अपेक्षा पितृकार्य की विशेषता मानी गयी है। अतः देवकार्य से पूर्व पितरों को तृप्त करना चाहिये।

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