किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या

मातेव रक्षति पितेव हिते नियुङ्क्ते
कान्तेव चाऽपि रमयत्यपनीय खेदम्|
लक्ष्मीं तनोति वितनोति च दिक्षु कीर्तिं
किं किं न साधयति कल्पलतेव विद्या|

 

विद्या माता की तरह पालन पोषण करती है| विद्या पिता की तरह अच्छा मार्गदर्शन करती है| विद्या पत्नी की तरह दुःख को दूर कर के सुख देती है| विद्या लक्ष्मी को बढाती है| विद्या चारों दिशाओं मे कीर्ति प्राप्त कराती‌ है| यह विद्या एक कल्पवृक्ष की तरह है| ये क्या क्या नहीं कर सकती?

 

55.1K

Comments

y7ycy

भक्ति-योग का लक्ष्य क्या है?

भक्ति-योग में लक्ष्य भगवान श्रीकृष्ण के साथ मिलन है, उनमें विलय है। कोई अन्य देवता नहीं, यहां तक कि भगवान के अन्य अवतार भी नहीं क्योंकि केवल कृष्ण ही सभी प्रकार से पूर्ण हैं।

संतान प्राप्ति के उपाय क्या हैं?

पद्म पुराण पाताल खंड में संतान प्राप्ति के लिए तीन उपाय बताये गये हैं- भगवान विष्णु का प्रसाद, भगवान शंकर का प्रसाद और गौ माता का प्रसाद।

Quiz

वेदों के अनुसार विश्व इनमें से किन दो तत्त्वों की अनवरत पारस्परिक क्रिया है ?
Copyright © 2024 | Vedadhara | All Rights Reserved. | Designed & Developed by Claps and Whistles
| | | | |