श्रीविष्णोरष्टाविंशतिनामस्तोत्रम्
अर्जुन उवाच -
किं नु नाम सहस्राणि जपते च पुनः पुनः ।
यानि नामानि दिव्यानि तानि चाचक्ष्व केशव ॥१॥
श्रीभगवानुवाच -
मत्स्यं कूर्मं वराहं च वामनं च जनार्दनम्।
गोविन्दं पुण्डरीकाक्षं माधवं मधुसूदनम् ॥ २॥
पद्मनाभं सहस्राक्षं वनमालिं हलायुधम् ।
गोवर्धनं हृषीकेशं वैकुण्ठं पुरुषोत्तमम् ॥ ३ ॥
विश्वरूपं वासुदेवं रामं नारायणं हरिम्।
दामोदरं श्रीधरं च वेदाङ्गं गरुडध्वजम् ॥४॥
अनन्तं कृष्णगोपालं जपतो नास्ति पातकम्।।
गवां कोटिप्रदानस्य अश्वमेधशतस्य च ॥ ५॥
कन्यादानसहस्राणां फलं प्राप्नोति मानवः ।
अमायां वा पौर्णमास्यामेकादश्यां तथैव च ॥६॥
अर्जुन ने पूछा - केशव ! मनुष्य बारबार एक हजार नामों का जप क्यों करता है? आपके जो दिव्य नाम हों, उनका वर्णन कीजिये ।। १ ।।
श्रीभगवान् बोले - अर्जुन ! मत्स्य, कूर्म, वराह, वामन, जनार्दन, गोविन्द, पुण्डरीकाक्ष, माधव, मधुसूदन, पद्मनाभ, सहस्राक्ष, वनमाली, हलायुध, गोवर्धन, हृषीकेश, वैकुण्ठ, पुरुषोत्तम, विश्वरूप, वासुदेव, राम, नारायण, हरि, दामोदर, श्रीधर, वेदाङ्ग, गरुडध्वज, अनन्त और कृष्णगोपाल - इन नामों का जप करनेवाले मनुष्य के भीतर पाप नहीं रहता। वह एक करोड़ गो-दान, एक सौ अश्वमेधयज्ञ और एक हजार कन्यादान का फल प्राप्त करता है।
पराशर महर्षि के पिता थे शक्ति और उनकी माता थी अदृश्यन्ती। शक्ति वशिष्ठ के पुत्र थे। वशिष्ठ और विश्वामित्र के बीच चल रहे झगड़े में, एक बार विश्वामित्र ने कल्माषपाद नामक एक राजा को राक्षस बनाया। कल्माषपाद ने शक्ति सहित वशिष्ठ के सभी सौ पुत्रों को खा लिया। उस समय अदृश्यन्ती पहले से ही गर्भवती थी। उन्होंने पराशर महर्षि को वशिष्ठ के आश्रम में जन्म दिया।
ब्रह्मवैवर्तपुराण.प्रकृति.२.६६.७ के अनुसार, विश्व की उत्पत्ति के समय देवी जिस स्वरूप में विराजमान रहती है उसे आद्याशक्ति कहते हैं। आद्याशक्ति ही अपनी इच्छा से त्रिगुणात्मिका बन जाती है।
समुद्र मन्थन के कुछ सूक्ष्म तत्त्व
अमृत अमरत्व इसलिए दे पाता है कि अमृत जितनी औषधीय जडी बूटि....
Click here to know more..नमामि गंगे
भगवति तव तीरे नीरमात्राशनोऽहं विगतविषयतृष्णः कृष्णमार....
Click here to know more..जंबुकेश्वरी स्तोत्र
अपराधसहस्राणि ह्यपि कुर्वाणे मयि प्रसीदाम्ब। अखिलाण्ड....
Click here to know more..Please wait while the audio list loads..
Ganapathy
Shiva
Hanuman
Devi
Vishnu Sahasranama
Mahabharatam
Practical Wisdom
Yoga Vasishta
Vedas
Rituals
Rare Topics
Devi Mahatmyam
Glory of Venkatesha
Shani Mahatmya
Story of Sri Yantra
Rudram Explained
Atharva Sheersha
Sri Suktam
Kathopanishad
Ramayana
Mystique
Mantra Shastra
Bharat Matha
Bhagavatam
Astrology
Temples
Spiritual books
Purana Stories
Festivals
Sages and Saints